Book Title: Navtattva Sangraha
Author(s): Vijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
Publisher: Samyagyan Pracharak Samiti

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Page 509
________________ ४७४ नवतत्त्वसंग्रहः मिथ्यात्व उदयके नही संक्रामआवलिका जां लगे अनंतानुबंधीका उदय तिसके उदय अभाव ते मरणका पिण अभाव है. भवां(त ?)रके अभाव ते वैक्रियमिश्र १, औदारिकमिश्र १, कार्मण १ इन तीनोका अभाव है, इस वास्ते अनंतानुबंधी भय जुगुप्साके विकल्पोदयमे तथा उत्तर पदांमे हेतुयाका अभाव सूचन कर्या. ___अथ सास्वादनका विशेष कहीये है-सास्वादनमे मिथ्यात्वके अभाव ते प्रथम पद गया शेष पूर्वोक्त नव अनंतानुबंधीके विकल्प अभाव ते दस. ६।५।२।३।४।१३. इस चक्र विषे प्रथम वेदां ३ करके योगानूं गुणाकार करके एक रूप ऊछा करणा यथा एकैक वेदमे तेरा योग है. एवं ३९ हूये. नपुंसक वेदे वैक्रियमिश्र नही. एवं एक काढ्या ३८ रहै. इन ३८ करी एकैक काय वधसूं गुण्या २२८ होय है. इन २२८ कू एकेक इन्द्रियव्यापारसूं गुण्या ११४० हुइ. इन ११४० कू एकेक युग्मसूं गुण्या २२८० हुइ. २२८० कू एकैक कषाय चार गुण्या ९१२०. इतने हेतुसमुदाय हुये. एवं शेष विषे भावना करवी. दस पूर्वोक्त अने द्विकायवध युक्त ग्यारे हूये, तिहां पूर्ववत् २२८०० भंगा. भय प्रक्षेपणे ते ११ हूये, तिहां ९१२० भंगा. एवं जुगुप्सा प्रक्षेपे ९१२०. सर्व ग्यारे समुदायना भंगा ४१०४०. __पूर्वोक्त दस त्रिकायवध प्रक्षेपे बारा होते है, तिहां पिण पूर्ववत् ३०४००. अथवा द्विकायवध भय प्रक्षेपे पिण बारा होते है, तिहां पिण २२८००. एवं द्विकायवध जुगुप्सा प्रक्षेपे २२८००. अथवा भय जुगुप्सा प्रक्षेपे १२, तिहां पिण ९१२०. एवं सर्व बारा समुदायके ८५१२० भंगा. ____दस पूर्वोक्त चार काय वध युक्त तेरा होते है. पूर्ववत् तिहां २२८००. अथवा भय त्रिकायवध प्रक्षेपे तेरा, तिहां ३०४०० भंगा. एवं त्रिकायवध जुगुप्सा प्रक्षेपे ३०४००. अथवा द्विकायवध भय जुगुप्सा प्रक्षेपे १३, तिहां भांगा २२८००. एवं सर्व तेराके भंग संख्या १०६४००. - दस पूर्वोक्त पंचकायवध प्रक्षेपे चौदां हुइ, तिहां भंगा ९१२०. अथवा चार काय वध प्रक्षेपे चौदां, तिहां २२८०० भंगा. एवं चतुःकायवध जुगुप्सा प्रक्षेपे २२८००. अथवा त्रिकायवध भय जुगुप्सा प्रक्षेपे १४, तिहां ३०४००. सर्व एकत्र मेले ८५१२०. पूर्वोक्त दस षट्कायवध युक्त पंदरा हुइ, तिहां १५२० भंगा. पंचकायवध प्रक्षेपे १५, तिहां ९१२०. एवं पांच काय वध जुगुप्सा प्रक्षेपे ९१२०. अथवा चार काय वध भय जुगुप्सा प्रक्षेपे १५, तिहां २२८०० भंगा. सर्व एकत्र करे ४२५६०. दस पूर्वोक्त षट्कायवध भय युक्त १६ होते है, तिहां भांगा १५२०. षट्कायवध जुगुप्सा प्रक्षेपे १५२०. अथवा पांच काय वध भय जुगुप्सा प्रक्षेपे १६, तिहां ९१२० भंगा. सर्व एकत्र करे १२१६०.

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