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नवतत्त्वसंग्रहः (१४४) वैक्रियना सर्वबंधादि संबंधी अल्पबहुत्व अल्पबहुत्व देशबंध | सर्वबंध
अबंधक असंख्यगुणा २
१ स्तोक
अनंतगुणा ३ इति वैक्रिययन्त्रचतुष्टयम्. (१४५) आहारक शरीरना प्रयोगबंधनी स्थिति सर्वबन्धस्थिति
देशबन्धस्थिति आहारक मनुष्य ज०१ समय
ज० अंतर्मुहूर्त, उ० अंतर्मुहूर्त (१४६) अंतर सर्वबन्धान्तर
देशबन्धान्तर आहारक अंतर ज० अंतर्मुहूर्त, उ० देश
ज० अंतर्मुहूर्त, उ० देश ऊन अर्ध पुद्गलपरावर्त
ऊन अर्ध पुद्गलपरावर्त (१४७) अल्पबहुत्व सर्व० देश० अबन्ध आहारककी अल्पबहुत्व
देशबंध सर्वबंध
अबंधक संख्यात गुणे २ । सर्व स्तोक १ । अनंत गुणे ३
इति आहारकयंत्र तीन. (१४८)(तैजस शरीर)
देशबन्धस्थिति तैजस शरीर
अनादि अपर्यवसित, अनादिसपर्यवसित
देशबन्धान्तर तैजस
दोनाका अंतर नहीं देशबन्ध
___ अबन्धक तैजस शरीर अनंत गुणा २
सर्व स्तोक १ अल्पबहुत्व (१४९)(कार्मण शरीर)
देशबन्धस्थिति कार्मणशरीरस्थिति
अनादि अपर्यवसित, अनादि सपर्यवसित
देशबन्धान्तर कार्मण
दोनाका अंतर नहीं देशबन्ध
अबन्धक कर्म ७ अल्पबहुत्व अनंत गुणा २
सर्व स्तोक १ आयु अल्पबहुत्व १ स्तोक
संख्यात गुणा २
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