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नवतत्त्वसंग्रहः बंधी बंधइ बंधिस्सइ १, बंधी बंधइ न बंधिस्सइ २, बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३, बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ४ ए च्यार भांगा जान लेना.
(१५३) ( पापकर्मादि आश्री भंग) जीव मनुष्य
पापकर्म १ ज्ञानावरणी २ दर्शनावरणी ३ मोहनीय ४ नाम ५ गोत्र ६ अंतराय आश्री १,२,३,४
सलेशी १, शुक्ललेशी २, शुक्लपक्षी ३, सम्यग्दृष्टि ४, सज्ञान आदि जाव मनःपर्यव
ज्ञानी ९, नोसंज्ञोपयुक्त १०, अवेदी ११, सजोगी १२, मन १३, वाक् १४, ४ भंग
काया १५ योगी, साकारोपयुक्त १६, अनाकारोपयुक्त १७
३,२
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कृष्णा आदि लेश्या ५, कृष्णपक्षी ६, मिथ्यादृष्टि ७, मिश्रदृष्टि ८, चार संज्ञा १२, अज्ञान ४।१६, सवेद आदि ४।२०, क्रोध २१, मान २२, माया २३, लोभ २४ सकषायी २५,
__ अलेशी १, केवली २, अयोगी ३ :
अकषायी १, एवं ४६ बोल
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जीव मनुष्य
(१५४) (वेदनीय आश्री भंग)
वेदनीय कर्म आश्री बंधभंग १, २, ४ सलेशी १, शुक्ललेशी २, शुक्लपक्षी ३, सम्यग्दृष्टि ४, नाणी ५, केवलनाणी ६, नोसंज्ञोपयुक्त ७, अवेदी ८, अकषायी ९, साकारोपयुक्त १०, अनाकारोपयुक्त ११
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जीव मनुष्य
अलेशी १, अयोगी २, कृष्ण आदि लेश्या ५, कृष्णपक्षी ६, मिथ्यादृष्टि ७, मिश्रदृष्टि ८, अज्ञान आदि ४।१२, संज्ञा ४।१६, ग्यान ४।२०, सवेद आदि ४।२४, सकषाय आदि ५।२९ सयोग आदि
४।३३ एवं बोल ४६ (१५५) (आयु आश्री भंग)
आयुकर्म आश्री बंधभंग १, २, ३, ४ सलेशी आदि ७, शुक्लपक्षी ८, मिथ्यादृष्टि ९, अज्ञान आदि ४।१३, संज्ञा ४।१७, सवेद आदि ४।२१, सकषाय आदि ५।२६, सयोग आदि ४।३०, साकारोपयुक्त ३१, अनाकारोपयुक्त ३२, सम्यग्दृष्टि ३३, सज्ञान आदि जीव अवधिज्ञान ४।३७
मनःपर्यव १, नोसंज्ञोपयुक्त २ अलेशी १, केवली २, अयोगी ३
कृष्णपक्षी मिश्रदृष्टि १, अवेदी २, अकषायी ३, एवं ४६ बोल
१, ३, ४
३, ४