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नवतत्त्वसंग्रहः (५४) हिवै ए छ प्रकारमे अवधिज्ञाननी वृद्धि हान कितने प्रकारे है ते यंत्रमे स्वरूप लिख्यासंख्या | क्षेत्र आश्री हान | काल आश्री हान | द्रव्य आश्री हान | पर्याय आश्री हान
वृद्धि ____ वृद्धि | वृद्धि - वृद्धि हान ६ | असंख्य भाग हानि | असं० भाग हा० वृ० | अनंत भाग हा० वृ० | 'षट् प्रकारे हान वृद्धि प्रकारे, | वृद्धि, असंख्य गुण | असं० गुण हा० वृ० अनंत गुणा हा० वृ० छ प्रकारका स्वरूप वृद्धि ६ | हानि वृद्धि, संख्यात | सं० भाग हा० वृ० | २ द्रव्य घणा वधे यंत्रसे जानना प्रकारे भाग हा० वृ०, | सं० गुण हा० । घटे अस्मात् २ संख्यात गुण हा०
वृ०४ वृ०४ इति छठा चल द्वार संपूर्णम् ।
हिवै ७ मा तीव्र मंद द्वार कहीये है-किताएक अवधिज्ञान फाडारूप हुइ थोडासा दीसे अने बीचमे वली न दीसे, थोडेसे अंतरमे फेर दीसे. स्थापना .. इम फाडा रूप जानना. जिम जालीमे दीवेका तेज पडे छिद्रमे तो तेज है अने ओर जगे नही ते तेज फाडा फाडा रूप दीसे तिम जे अवधिज्ञाने करी किहां दीसे अने किहां नही दीसे, लगत मार प्रकाश न हुइ ते 'फाडारूप' अवधिज्ञान कहाता है. ते अवधिज्ञानना फाडा किताना होवे ते वात कहीये है
एक जीवने अवधिज्ञानका फाडा संख्याता अने असंख्याता हुइ पिण ते जीव जदा एक फाडा देखे तदा सर्व ही फाडा देखे. जिस वास्ते जीवके उपयोग एक ज होय है. एक वार दो उपयोग न हुइ, तिस वास्ते सर्व फाडयांमे एक वार एकठा ही उपयोग जानना. हिवै ते फाडा तीन प्रकारना है-कितनाक तो अनुगामिक १, कितनाक अननुगामिक २, कितनाक मिश्र ३. तीनाका अर्थ उपरवत्. तथा ते फाडा वली तीन प्रकारे है-एक प्रतिपाति है १, कितनेक अप्रतिपाति २, कितनेक मिश्र ३. हिवै जे अवधि उपजीने फाडारूप ते कितनाक काल रहीने विणसे ते फाडा 'प्रतिपाति' कहीये १, कितनाक न विणसे ते 'अप्रतिपाति' २, अने जे कितनेक फाडे प्रतिपाति अने अप्रतिपाति ते 'मिश्र' ३. ए अवधि मनुष्य, तिर्यंचने हुइ पिण देव, नरकने नही. अनुगामी अप्रतिपाति फाडारूप अवधिज्ञान 'तीव्र' चोखे परिणामे करी उपजे ते फाडा 'तीव्र' कहीये है. अने अननुगामी प्रतिपाति फाडारूप अवधि मंद परिणामे करी उपजे है, तिस वास्ते 'मंद' कहीये है. इति तीव्र मंद द्वार ७.
अथ प्रतिपाति द्वार-अवधिज्ञानका एक समये उपजणा अने विणसना कहीए है. जे अवधि जीवके एके दिशे उपजे ते 'बाह्य' अवधिज्ञान कहीये. अथवा जे जीवके सर्व फा(पा)से फाडारूप अवधि हुइ ते 'बाह्य' अवधिज्ञान कहीये. ते बाह्य अवधिका उपजणा अने विणसना अने दोनो द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव आश्री एक समयमें हूइ ते किम द्रव्य आश्री ते बाह्य अवधि एक समयेसे उपजणा
१. छ।