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नवतत्त्वसंग्रहः
अंतर घणा नास्त्यन्तरम् ज०६३ सहस्त्र ज०८४ सहस्त्र ज०१ समय, नास्ति जीव आश्री वर्ष, उ० १८ वर्ष, उ. १८
उ०६ मास अंतरम् कोटाकोटि कोटाकोटि
सागरोपम सागरोपम ३१ समुद्धात | ६ केवल वर्जी
धुरली ३
केवल १ ३२ क्षेत्र । लोकने असं- | → ए
| असंख्यमे घणे, ख्यमे भाग
असंख्य
सर्वलोक ३३| स्पर्शना लोकने असं
| असंख्यमे घणे, ख्यमे भाग
असंख्य
सर्वलोक ३४] भाव | क्षयोपशम
व । म् । उपशम, क्षय ३५ परिमाण प्रतिपाद्यमान प्रतिपद्यमान पुलाकवत् । निर्ग्रन्थवत् प्रतिपद्यमान होवे, नही बी होवे, नही
होवे, नही होवे, जे, बी होवे, जो
बी होवे, जो होवे (तो) | होवे (तो)
होवे (तो) ज० १।२।३, ज० १।२।३,
ज० १।२।३, उ० पृथक् उ० पृथक् शत,
उ० १६२, पूर्वप्रतिपन्न
पूर्वप्रतिपन्न पूर्वप्रतिपन्न होवे, न बी
पृथक् पृथक् सहस्र | होवे, (जो होवे
कोटि कोड तो) ज० उ०
| पृथक् शतकोटि अल्प | ५ संख्येय | ४ संख्येय २ संख्येय १ स्तोक ३ संख्येय बहुत्व गुणा
गुणा ___ (११४) भगवती (श. ७, उ. २, सू. २७३) अल्पबहुत्व १ यंत्र । मूल गुण पच्चक्खाणी | उत्तरगुण पच्चक्खाणी अपच्चक्खाणी १ स्तोक २ असंख्येय
३ अनंत तिर्यंच पंचेन्द्रिय १ स्तोक
२ असंख्येय
३ असंख्य मनुष्य १ स्तोक २ असंख्येय
३ असंख्य
सहस्त्र,
जीव