Book Title: Navtattva Sangraha
Author(s): Vijayanandsuri, Sanyamkirtivijay
Publisher: Samyagyan Pracharak Samiti

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Page 413
________________ ३७८ भूतले मेरुपरिधि २१,६२३, भूतले मेरुविष्कंभ १०,०००, मेरु उपरि विष्कंभ १०००, मेरु उपरि परिधि ३१६२, मेरु मूलविष्कंभ १००९०, मेरु मूलपरिधि ३१९९० है. एक सहस्र योजनप्रमाण मेरुका प्रथमकांड जानना, ६३ सहस्र योजनका द्वितीय कांड, ३६ सहस्र योजनप्रमाण तीजा कांड. भद्रशालथी ५०० योजन उंचा नंदन वन है. नन्दनवनस्य परिधि ३१, ४७९, नन्दनवन - मध्ये परिधि (?), नन्दनवनस्य विष्कंभ ९९५४, नन्दनवनमध्ये विष्कंभ ८९५४, सौमनसवनस्य परिधि १३५११, सौमनसवनमध्ये परिधि १०३४९,, सौमनसवनस्य विष्कंभ ४२७२, सौमनसवनमध्ये विष्कंभ ३२७२, चूलकके मूलथी ४९४ योजन वलयाकारे विष्कंभ पंडग वन(का) है. जिनप्रसाद अर्ध कोश पृथुत्व, कोश लांबा, १४४० धनुष उच्चत्व. पंडग वनमे चार शिला ५०० योजनकी लांबी, २०० योजन पिहुली ४ योजनकी उंची है. अर्धचन्द्राकारे श्वेत सुवर्णमयी शिलाना मानथी आठ सहस्रमे भागे सिंहासनका प्रमाण जानना. पूर्व पश्चिमकी शिला उपरि दो दो सिंहासन है अने दक्षिण, उत्तरकी शिला उपरि एकेक सिंहासन है. इन शिलां उपरि भगवानका जन्ममहोत्सव इन्द्र करते है. ० जगती परस्पर अंतर विष्कंभ परिधि जल उपरि कोश २ ३०० ९४९ यो० २॥ २० |२||९५ २ कोश ४०० १२६५ यो० २॥ 7 2 15 1 २॥ ( १२८ ) हैमवंत १ शिखरीकी दाढा चार, चार तिस उपरि सात, सात अंतरद्वीप. १ २ ३ ४ ३०० ४०० ५०० ६०० ९५ ५०० १५८१ यो० भद्रसाल ३ ६५ ३ ९५ ए नदन १ ४ ६०० १८९७ यो० ४ ४० ९५ व ४० पंडग योजना ३ सौमनस वैडूर्य मय लाल सुवर्णमय ३६००० ५ पीत सुवर्णमय १५७५० रूप्यमय १५७५० अंकरत्नमय १५७५० योजन स्फटिकरत्नमय १५,७५० योजन कांकरामय २५० योजन वज्रमय २५० योजन पाषाणमय २५० योजन पृथ्वीमय २५० योजन चूलिका 0060 ७०० ५ नवतत्त्वसंग्रहः ६ ८०० ७०० ८०० २२१३ यो० | २५२९ यो० ५ १५ ९५ म् ५ ८५ ९५ | ७ ९०० ९०० २८४५ यो० ६ अभ्यं ६० तर ६ ९५ → बाह्य

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