Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
View full book text
________________
एवमसंखेज्जाओ चित्तरगंडियाओ णेयव्वा । जाव जियसत्तु राया अजियजिणपिया समुप्पण्णो ॥ ३२ ॥ एवं गाहाहिं चित्तंतरगंडिया
चित्रान्तरनन्दीचूर्णी सम्मत्ता । इमा एतासिं ठवणा -"
गण्डिका एत्तिया लक्खा सिद्धा-|१४| १४ | १४ | १४ | १४| १४ | १४ | १४ | १४ | १४] एवं जाव असंखेज्जा पुसिसजुगा सिद्धा,/8/ ४ एत्तिया सव्वट्ठगया- | १ | २ | ३ | ४ ५ ६ ७ ८ | ९ | १०| एसा पढमा, अतो परं सिद्धा लक्खा |5|
सिद्धा एत्तिया लक्खा-१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ सवढे लक्खा जाव असंखेज्जा पुरिसजुगा । IPI सव्वलृमि गया एत्तिया लकखा| १४ | १४ | १४ | १४ | १४ | १४ | १४ | १४ | १४ | सिद्धा, एसा बीया, अओ परं एत्तिअलक्खा सिद्धा सव्वद्वेऽवि एतिया
एवं जाव असंखेज्जा आवलिया। आवलिया एगादि एगुत्तरं दोवि गच्छति | २ | ३ | ४ ५ ६ ७ ८ ९
दूरगमणाओ पंचासीइमे ठाणे चिट्ठति, एसा तझ्या गडिया, अतः परं चतस्रो
६ ॥६॥ गडिया एकोत्तरा प्रदर्श्यते ।
SHREEKANKERGICALSAs