Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
View full book text
________________
दुगाइएगुत्तरा दोवि गच्छति | १ | ३ | ५ | ८|९|
|गंडिकानुहारिभद्रीय है।
योगे वृत्ती | आवलिया दूरगमणओ पंचासीइमे ठाणे चिट्ठति तइया मैडिया,
| चित्रान्तर
गडिकाः ॥११२॥ अतः परं चतस्रो गण्डिका एकोत्तरिकादिकाः प्रदर्श्यन्ते-शिवगतौ सर्वार्थे च एवं असंखेज्जा चित्ततरगडिया, एगाइ एगुत्तरिया |
| पढमा णेया, सिद्धा एत्तिया सवढे एत्तिया चेव, एवं जाव असंखेज्जा, एगादिविउत्तरा | | बितिया 21 चित्ततर गण्डिया, सिद्धा एतिया सव्वढे एतिया चेव, एवं जाव असंखेज्जा चित्तरगंडिया, एगादितिउत्तरा
तइया ततश्चतुर्थी व्यादिका द्वयादिविषमोत्तरप्रक्षेपा एकोनविंशत्रिदंकान् संस्थाप्य निदर्श्यते,
SSSSSSSSSSS
एत्तिया सव्वढे | ३ | ८ | १६ | २५ ११ | १७ | २९ १४ ५० ८० | ५ |७४ | ७२/४९/२९ शिवगतौ सिद्धा | ५ | १२ | २० | ९ | १५ ३१ | २८| २६/७३ | ४ |९० ६५ २८ १०३ .
॥११२॥