Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
View full book text ________________
नन्दी-18 दुगठाणेवि असंखा पुरिसजुगा होंति णायव्वा ॥ ३ ॥ जाव य लक्खा चोदस सिद्धा पन्नास होंति सबढे । पत्रासहाणेऽवि तु
गंडिकानुहारमद्रायपुरिसजुगा होंतिऽसंखेज्जा ॥ ४॥ एगुत्तरा उठाणा सव्वट्ठाणे य जाव पनासा । एवेकेकगठाणे पुरिसजुगा होतऽसंखेज्जा।। ५॥
योगे वृत्ती |विवरीयं सव्वढे चोद्दसलक्खा उ णिव्वुतो एगो । सच्चव य परिवाडी पन्नासं जाब सिद्धीए ॥ ६॥ तेणं परं तु लक्खा दो दो है
मंडिकाः ॥११॥
ठाणा य समग वच्चंति । सिवगतिसव्वदे॒हिं इणमो तेसिं विही होइ ॥ ७॥ दो लक्खा सिद्धीए दो लक्खा नरवतीण सबढे । एवं | तिलक्ख चउपंच जाव लक्खा असंखेज्जा ॥८॥ सिवगतिसव्वद्वेहिं चित्तरगंडिया ततो चउरो। एगा एगुत्तरिया एगादि
बिउत्तरा बितिया ॥९॥ ततिएगादितिउत्तरा तिगमादिविउत्तरा चउत्थेयं । पढमाए सिद्धिको दोभि य सव्वट्ठसिद्धम्मि ॥१०॥ दि तत्तो तिनि नरिंदा सिद्धा चत्तारि होंति सव्वढे । इय जाव असंखेज्जा सिवगतिसव्वट्ठसिद्धेहिं ॥ ११ ॥ ताहे बिउत्तराए सिद्धिको
तिथि होंति सव्वढे । एवं पंच य सत्त य जाव असंखेज्ज दोन्नित्ति ॥ १२ ॥ एग चउ सत्त दसगं जाच असंखज्ज होंति दोषि
ति । सिवगतिसव्वद्वेहिं तिउत्तराए मुणेयव्वा ॥१३॥ ताहे-तियगाइ बिउत्तराए अउणत्तीस तु तितग ठावेतुं । पढमे णत्थि क्खेवोर दसेससु इमो भवे खेवो ॥ १४ ॥ दुग पण णवर्ग तेरस सत्तरस दुवीस छच्च अद्वैव । बारस चौदस तह अट्ठवीस छब्बीस पणुवीसा ५
॥ १५ ॥ एकारस तेवीसा सीयाला सतरि सतहत्तरी तह य । इग दुग सत्तासीई एगुचरिमेव बावट्ठी॥ १६ ॥ अउणचरि
चउवीसा छायाल सयं तहेव छब्बीसा । एए रासीक्खेवा तिगअंतंता जहाकमसो ॥ १७॥ सिवगतिसबढेहिं दो दो ठाण विसमुटात्तरा णेया । जाणतीसवाणे उणतीसं पुण छवीसाए ॥१८॥ विसमत्तरा य पढमा एवमसंख विसमुत्तराणेया। सब्वत्थवि अंतिळाला॥११०॥
अन्नाए आदिमं ठाणं ॥ १९ ॥ अउणत्तीस वारे ठावेउं णत्थि पढमए खेवो । सेससुऽडवीसाए सव्वस्थ दुगादिओ खेवो ॥ २०॥
RECASSAGAR
ॐॐॐॐॐ
Loading... Page Navigation 1 ... 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238