Book Title: Mukhvastrika Siddhi
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 9
________________ [8] के लिए हमेशा उदारता से सहयोग प्रदान करने में तत्पर रहते हैं । साहित्य प्रकाशन में सहयोग प्रदान करने में आपकी भावना उत्कृष्ट रहती है। संघ एवं पाठक गण आपके इस सहयोग के लिए बहुतबहुत आभारी है। आप चिरायु रहे और संघ और समाज को आपका सहयोग प्राप्त होता रहे। पुस्तक का प्रकाशन किसी का खण्डन करने की भावना से नहीं किया है। बल्कि सुज्ञ वर्ग को हकीकत की जानकारी हो, वे जिनेश्वर प्रभु के विशुद्ध मार्ग को समझें तथा तदनुसार प्रवृत्ति कर आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ कर मोक्ष के शाश्वत सुखों को प्राप्त करे । बावजूद इस प्रकाशन से किसी भी महानुभाव के हृदय को यदि कोई ठेस पहुँचे तो उसके लिए मैं हृदय से क्षमा चाहता हूँ । सैद्धान्तिक मान्यता के अलावा मेरा किसी व्यक्ति विशेष के प्रति कोई वैर विरोध नहीं है। मित्ती मे सव्वभूए सु, वेरं मज्झं ण केणइ ॥ यह दुर्लभ पुस्तक बड़े ही लम्बे अन्तराल के पश्चात् पुनः प्रकाशित की जा रही है। अतएव पाठक बंधुओं से निवेदन है कि वे इसे धरोहर के रूप में अपने पास रखें और समय-समय पर इसका वाचन कर अपनी श्रद्धा को दृढ़ करे । इसी शुभ भावना के साथ ! ब्यावर (राज.) दिनांक १-११-२००२ संघ सेवक नेमीचन्द बांठिया अ. भा. सु. जैन सं. र. संघ, जोधपुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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