Book Title: Mukhvastrika Siddhi
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 55
________________ ३६ शंका-समाधान (५) शंका अङ्ग चूलिया सूत्र का प्रमाण तो स्पष्ट हाथ में मुखवस्त्रिका रखने का विधान कर रहा है जिसको श्री ज्ञानसुन्दरजी ने दिया है, इस विषय में आपका क्या समाधान है ? समाधान इस शंका का समाधान तो स्वयं सुन्दरजी ने ही कर दिया है। वे लिखते हैं कि यह सूत्र स्थानकवासी समाज को मान्य नहीं है इसलिये इसका प्रमाण देना ही अनुचित है । हमारी तो दृढ़ मान्यता है कि कोई भी ग्रन्थ क्यों न हो, उसका जो वचन वीतराग वाणी को बाधा कारक नहीं हो, वही हमारा मान्य है। कितने ही शास्त्रों में अनिष्ट परिवर्तन हुवा है जिसका प्रमाण मैंने "लोकाशाह मत समर्थन” नामक पुस्तक में दिया है। खास अङ्गोपाङ्ग में ही जब मनमाना फेरफार कर दिया गया है, तो अन्य की तो बात ही क्या है ? यहाँ प्रकरण विशेष बढ़ जाने के भय से हम उन प्रमाणों को नहीं लिख रहे हैं। - प्रमाण वही उचित हो जो उभय समाज सम्मत हो । हमने भी ऐसे ही प्रमाण और खास कर हमारे प्रतिस्पर्धी (हाथ में वस्त्र रखने वाली) समाज के ही दिये हैं। अतएव केवल एक पक्ष को ही मान्य तथा सदोष ऐसे प्रमाण कुछ भी कार्य साधक नहीं हो सकते। (६) शंका - तुम्हारे मान्य ३२ सूत्रों के अन्दर दशवैकालिक सूत्र है, उसमें मुखवस्त्रिका को " हत्थग" कहा है, इससे हाथ में रखना सिद्ध होता है। इसको आप कैसे अमान्य कह सकते हैं? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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