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मुखवस्त्रिका सिद्धि
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मुहपत्तिनुं अबंधन निवारित प्रवृत्ति छे, अने मुहपत्ति बंधन शास्त्र पाठोथी साबित परंपरानी अने अनिवारित प्रवृत्ति छे, एटले के शास्त्र सिद्ध अने संघ-सम्मत, परंपरा सिद्ध एम बन्नेय रीते तीर्थ रूप प्रवृत्ति छ।
(अभिप्राय)
सम्मति पत्र - प्रसिद्ध गणिवर्य-नाभा शास्त्रार्थ विजेता-श्री उदयचंद्रजी महाराज साहब की सम्मति -
आज यह 'मुखवस्त्रिका-सिद्धि' निबन्ध भाई रतनलालजी डोशी ने पढ़कर सुनाया, बड़ा आनन्द हुवा। लेखक ने बड़ी होशियारी से मुखवस्त्रिका मुँह पर बाँधना सप्रमाण सिद्ध किया है। हमारा अभिप्राय है कि इससे समाज का बड़ा लाभ होगा।
समस्त जैन समाज को चाहिए कि इस पुस्तक को ध्यान पूर्वक पठन और मनन कर लेखक के परिश्रम को सफल करें।
(अभिप्राय)
(४)
भारत रत्न शतावधानी प्रसिद्ध विद्वान् पण्डित मुनिराज । श्री रत्नचन्द्रजी महाराज साहब की सम्मति -.
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