Book Title: Mukhvastrika Siddhi
Author(s): Ratanlal Doshi
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 27
________________ १० मुंहपत्ति रखने के कारण ***** **** मुख-वस्त्रिका के मुँह पर बांधने के मुख्य कारण बताकर उनको सप्रमाण सिद्ध करते हैं । - मुखवस्त्रिका के मुख पर बांधने में मुख्यतः दो कारण हैं (१) वायुकायादि जीवों की रक्षा । (२) जैन साधुत्त्वदर्शक "लिंग” (चिन्ह) | इन दो कारणों की सिद्धि के लिए हम मूर्तिपूजक समाज के मान्य ग्रन्थों और लेखों के ही प्रमाण देते हैं । पाठक वर्ग धैर्य पूर्वक पढ़ कर निर्णय करें। (क) वायुकायादि जीवों के रक्षणार्थ मुख - वस्त्रिका की आवश्यकता कितने ही हाथ में मुख - वस्त्रिका रखने वाले हमारे बन्धु अब तक यह कहते आ रहे हैं कि - मुख की वायु से वायुकायिक जीवों की हिंसा नहीं होती, पर उनका यह कथन निम्न प्रमाणों से बाधित सिद्ध होता है, देखिये - - (१) हेमचन्द्राचार्य कृत योगशास्त्र के भाषान्तर में लिखा है कि- " मुँहपत्ति पण उडीने मुखमां पड़तां जीवो तथा मुखना उष्ण श्वासथी बाहरना वायुकाय जीवोनी विराधना टालवा माटे छे, तेम मुखमा पडती धूलने पण अटकाववा माटे छे” ( भीमसिंह माणेक द्वारा प्रकाशित और निर्णयसागर प्रेस से मुद्रित वि० सं० १९५५ पृष्ठ २६० पं० २७ ) (२) जैन प्रवचन साप्ताहिक के प्रवचनकार श्रीराम विजयजी योग शास्त्र की बारह भावनाओं में से तीसरी संसार भावना के विवरण में वायुकाय की वेदना में लिखते हैं कि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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