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मु-मरमर
मुनिश्री धाम चंदनी बोलला महाराजा
श्रीर्विजयानंदी
(बारा) महाराज
साधु मंडल गर्ने केत वारका चमी चिकीलाई समेत आते है. यहां साधुसुदनसा ना तुमारी सासाररवना
मु
से नही
सिबंधनीयती है चौथो दिनच चाई है इनको लो पना यह हम धनी श्रीजात परंतुमईटीएला
कमेडी कले है
बंधनही सके और जो कही बंधन एसो यहां बडीनि होती है और सत्यधर्म में आये हुए लोको के नीली हो जाने इसने नही
जानें
तो तुम को मुहानपनेते कुछमी हानी नही है क्योंकी मारे गुरु है तुम ही बंभो यह श्रीमाल नहीं है मांगे जैसीतुमरीमर जी हम नेत्य हमारा भूमि प्रादा लिया है मोनाल स औरतो
तो कैसा है और नही पनि लिख
तुम
वैसे
जैसीमा
क्वमादयका
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69 (1) धूप कुछ समय
बाजीकरोदिति के
શ્રીમદ્ આત્મારામજીએ મુત્તિ આંધવ સંબંધી સુરત બિરાજતા મુનિમહારાજ શ્રી આલમચન્દ્રજીને આપેલા તેમના પત્રના પ્રત્યુત્તર.
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