Book Title: Marathi - Tattvasara
Author(s): Changdev Vateshwar
Publisher: Prachya Granth Sangrahalay

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Page 25
________________ [२] काश्मिरीची नायका, जे शब्दब्रह्माची मूळिका, जे बुधीसि प्रेरका, वागेश्वरी ॥ ७ ॥ जे गोक्षीरधवळ, स्फटिक संकाश निर्मळ, विशुद्ध उभयकुळ, ब्रह्मपुत्री ॥ ८ ॥ जिये हंसाचें वाहन, पाशांकुशधरण, महिमाग्नें गहन, सरस्वती ते ॥ ९ ॥ जिये नवरसांचा अळंकारु, सप्त स्वरांचा शृंघारु, नादाचा अवतार, नादमूर्ति ॥ १० ॥ जिया नादाचिया प्रीती, ईश्वरु केला अती, तिं पावविला तृप्ती, नादें तेया ॥ ११ ॥ जय जय परमेश्वरी, लंबिके खेचरी, संतुष्ट वागेश्वरी, परम गुह्य ते ॥ १२ ॥ जे महिमानें गहन, स्वभावें प्रसन्न, भला रे म्हणौनि वचन, अनुवादली ॥ १३॥ वंदन. आतां .... ....... ....... ......... Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ....... .... ........ ........ ........ ..... www.umaragyanbhandar.com

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