Book Title: Marathi - Tattvasara
Author(s): Changdev Vateshwar
Publisher: Prachya Granth Sangrahalay
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[५०] जो तीर्थासि तर्थि, केदारेंसिं तुकिताति, आणि क्षेत्रिं निर्माती, प्रबंधु हा ॥ ३३ ॥
आतां गणनाथ सरस्वती नमस्कार दिनप्रती, जिहिं योगनिर्वाणसमाप्ति ग्रंथु नेला ॥ ३४ ॥ ___ इति गुरुशिष्य संवादे, तत्वसार प्रबंधे, कथिलें वटेश्वरप्रसादे, योगरहस्य हे ॥ ३५ ॥ __ ऐसी चतुर्विध भक्ती रसाळ, वोविया दसाडशत रत्नमाळ, वाइली वटेश्वरचरणयुगळ, चांगा म्हणे ॥३६॥
॥ इति श्री गुरुशिष्य संवाद तत्वसार पूर्णामिति ॥
॥ शुभं भवतु । श्री वटेश्वरार्पणमस्तु । शके १४८३ दुर्मतिनाम संवत्सर अषाढ शुद्ध १ शुक्र नदिने पाथर्ग स्थाने केदारलिंग समीपे बोग पाठकेन इद पुस्तकं लिखितं ॥ शुभं भवतु ॥ लेखकपाठकयोर्विजयी रस्तु ॥ शिवार्पणमस्तु ॥
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