Book Title: Marathi - Tattvasara
Author(s): Changdev Vateshwar
Publisher: Prachya Granth Sangrahalay

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Page 31
________________ [८] शून्य ब्रह्मा पासोनि, आकाश जन्मले तेथौनि, सर्वा शेषा येउनि, व्यापुनि असे पैं ॥ ३१ ॥ तिये व्योम जन्मला पवनु, तेज तया पासूनु, येकमेकांते प्रसउनु, भूतसृष्टि ॥ ३२ ॥ आप तेजिं जन्मले, पृथ्वि तत्व आपि जालें, क्षिति प्ररोहो पातले । सर्व बीज ॥ ३३ ॥ __ ऐसे नाही पासून जालें, ब्रह्म कतिं विस्तारले, ईश्वर तेज विकरलें, मूलमंत्र ॥ ३४ ॥ __ ईशान म्हणिजे आकाश, वायु म्हणिजे तत्पुरुष, अघोर तेज प्रकाशु, वामदेव म्हणिजे ॥ ३५ ॥ ___ पृथ्वि सद्योजाता पासौनि, ऐसें पंच ब्रह्मी होउनि, येणेचि अनुक्रेमें गगनिं, विलयो पावे ॥ ३६ ॥ हे नादबिंदव्याप, यांते म्हणीजे रूप, आतां सांघेन संक्षेप, रूपातीत ॥ ३७ ॥ रूपातीत. पृथ्वी आपिं विरमे, आप तेजिं उपरमे, तेज पनि चि समे, वायु निराळंबिं ॥ ३८ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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