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प्रतिष्ठाएं कराई। वहाँ पर 104 धातुओं की प्रतिमाएं उन्होंने प्रतिष्ठित की। इस प्रकार उन्होंने अनेकों स्थलों पर प्रतिष्ठाएं कराई जो आज कई स्थानों पर प्राप्त होती हैं1) आदिनाथ जिनालय, खेड़ा में प्राप्त सुविधिनाथ जी की धातु की प्रतिमा (लेखानुसार
वैशाख सुदी 10 वि.सं. 1537 में प्रतिष्ठित) 2) छोटा जिनालय, माणसा में प्राप्त अनंतनाथ जी की धातु की प्रतिमा (लेखानुसार वैशाख
सुदि 3 वि.सं. 1544 में प्रतिष्ठित) आदिनाथ जिनमंदिर, हद्राणा में प्राप्त पद्मप्रभ स्वामी जी की धातु की प्रतिमा (लेखानुसार
ज्येष्ठ वदि 11 रविवार वि.सं. 1545 में प्रतिष्ठित) 4) सुमतिनाथ मुख्य बावन जिनालय, मातर में प्राप्त संभवनाथ जी की धातु की प्रतिमा
(लेखानुसार माघ सुदि 3 शनिवार वि.सं. 1546 में प्रतिष्ठित) 5) मुनिसुव्रत जिनालय, जामनगर में प्राप्त नमिनाथ जी की धातु की प्रतिमा (लेखानुसार .
वैशाख वदि 5 वि.सं. 1547 में प्रतिष्ठित) वासुपूज्य जिनालय, बीकानेर में प्राप्त आदिनाथ जी की प्रतिमा (लेखानुसार फाल्गुन माघ सुदि 13 रविवार वि.सं. 1546 में प्रतिष्ठित) शांतिनाथ जिनालय, कड़ाकोटड़ी, खंभात में प्राप्त विहरमान तीर्थकर विशालस्वामी की प्रतिमा (लेखानुसार माघ सुदि 13 रविवार वि.सं. 1547 में प्रतिष्ठित) .
पार्श्वनाथ देरासर, देवसानो पाडो, अहमदाबाद में प्राप्त शीतलनाथ जी की प्रतिमा ___ (लेखानुसार माघ सुदि 13 रविवार वि.सं. 1547 में प्रतिष्ठित) 9) शीतलनाथ जिनालय, रिणी, तारानगर में प्राप्त विहरमान जिनप्रतिमा (लेखानुसार माघ
सुदि 13 रविवार वि.सं. 1547 में प्रतिष्ठित)
अहमदाबाद के सेठ दलपतभाई भगुभाई के घर मंदिर में मूलनायक शांतिनाथ जी की पंचतीर्थी प्रतिमा विद्यमान है। उस पर प्रतिमा लेख इस प्रकार है
"सं. 1547 वर्षे माघ सुदि 13 खौ श्रीमाली श्रे. चोलाकेन भा. लीलू प्रमुख कुटुंबयुतेन निजश्रेयसे श्री शांतिनाथ बिंबं का. प्रति. तपाश्री लक्ष्मीसागरसूरि पट्टे श्री सुमतिसाधुसूरिभिः"
महावीर पाट परम्परा
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