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किया जहाँ से वे अहमदाबाद पधारे। उनके विद्वान शिष्य जिन विजय जी को उन्होंने अपने पास बुलाया एवं गच्छ की परिपालना का दायित्व उन्हें सौंपा।
कालधर्म.
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वि.सं. 1786 (1782 ) में पंन्यास क्षमा विजय जी, पंन्यास जिन विजय जी आदि ने दोशीवाड़ा (अहमदाबाद) में चातुर्मास किया। आसोज सुदि एकादशी के दिन 42 वर्ष का संयम पर्याय पालते हुए 64 वर्ष की आयु में वे कालधर्म को प्राप्त हुए ।
श्रीसंघ ने साबरमती नदी के किनारे उनके देह का उत्तम काष्ठ, चंदन, केसर आदि सामग्री से अग्नि संस्कार किया एवं स्मरणार्थे स्तूप (समाधि) का भी निर्माण किया ।
महावीर पाट परम्परा
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