Book Title: Mahavir Pat Parampara
Author(s): Chidanandvijay
Publisher: Vijayvallabh Sadhna Kendra

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Page 317
________________ कालधर्म : आचार्य समुद्र सूरीश्वर जी म. द्वारा 22 मई 1977 को मुरादाबाद (उ.प्र.) में श्री सुमतिनाथ जिनमंदिर की प्रतिष्ठा का मुहूर्त निश्चित हुआ किंतु गुरुदेव ने उसे परिवर्तित कर 1 मई 1977 करने का आदेश दिया। ___ 1 मई 1977 को मुरादाबाद में विधिविधानपूर्वक-उल्लास और उमंग के साथ जिनमंदिर की प्रतिष्ठा उनकी मंगल निश्रा में सम्पन्न हुई। उसके बाद ही उनका स्वास्थ्य ढीला पड़ता गया। सभी मुनिगण उनकी सेवा-शुश्रुषा में जुट गए किंतु अब उनका आयुष्य कर्म पूर्णता की ओर था। ज्येष्ठ वदी अष्टमी, वि.सं. 2034 तदनुसार 10 मई 1971 को प्रातः काल ब्रह्म वेला में सर्वजीवराशि को खमाते हुए इस लोक से महाप्रयाण कर गए। उनके देवलोकगमन से श्रीसंघ में शून्यता व्याप्त हुई एवं उनकी आज्ञानुसार आचार्य इन्द्रदिन्न सूरि जी ने संघ संचालन का महत्त्वपूर्ण दायित्व स्वीकार कर गुरु भावना को पूर्ण किया। . . महावीर पाट परम्परा 283

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