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विषय-सूची
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पृष्ठ
पद्य
१-८
९-२१
२२-४१
४२-५८ ५९-६२
६३-८७
प्रकाशकीय
(३) आद्य वक्तव्य
इस युगके महान् तत्त्ववेत्ता श्रीमद् राजचंद्र विषय पीठिका-मङ्गलाचरण
१-२ ग्रंथकी उत्पत्तिके अन्तर्गत राजगृही और राजा श्रेणिकका वर्णनविपुलाचल पर भगवान महावीरके समवसरणका आगमन तथा
वनमें षट्कतुके फल-फूलोंका वर्णन वनपालकके द्वारा फल-फूलोंकी भेंट समर्पित कर समवसरणके आगमनकी
सूचना-राजा श्रेणिकका हर्षविभोर होकर परोक्ष नमस्कार करना
तथा वन्दनाके लिये आनन्दभेरी बजवाकर समवसरणमें जाना राजा श्रेणिक द्वारा भगवान महावीर स्वामी तथा गौतम आदि गणधरोंका - स्तवनकर मनुष्योंके कोठेमें बैठना तथा त्रेपन क्रियाओंका पूछना ७-८ गणधर द्वारा त्रेपन क्रियाओंका वर्णन
९-१० त्रेपन क्रियाओंके अन्तर्गत आठ मूलगुणोंका वर्णन-बाईस अभक्ष्योंके
दोषका वर्णन-ऋतुके अनुसार पक्वान्न आदिकी मर्यादाका कथन ११-१४ पाँच उदुम्बर फल, कन्दमूल तथा मदिरा, भांग आदि मादक वस्तुओंके त्यागका उपदेश
१४-१६ द्विदलका वर्णन
१६-१८ कांजीका वर्णन
१८-२० गोरसकी मर्यादाका कथन
२१-२२ चर्माश्रित वस्तुओंके सेवनका निषेध तथा बाजारके आटा-मेंदा आदिके __ त्यागका उपदेश
२३-२७ रसोई, चक्की और पानी रखनेके स्थान आदिका वर्णन और उन पर चंदेवा लगाना आदिका उपदेश
२८-३० मुरब्बा आदिका वर्णन
३०-३१ रसोई वा भोजनकी क्रियाका वर्णन
३१-३४ रजस्वला स्त्रीकी क्रियाका वर्णन
३४-३८ द्वादश व्रत कथन
३९-४० अहिंसाणुव्रतका वर्णन
४०-४१ अहिंसाणुव्रतके अतिचार
४२-४३ सत्याणुव्रतका कथन
४३-४४ सत्यवचनके अतिचार
४५-४६ अदत्तत्याग अणुव्रतका कथन
४६-४७ अदत्तादान व्रतके अतिचार
४८-४९
८८-१०० १०१-११६ ११७-१३० १३१-१४५
१४६-१७५
१७६-१९० १९१-२०१ २०२-२२२ २२३-२५१ २५२-२५९ २६०-२६७ २६८-२७७ २७८-२८३ २८४-२९३ २९४-३०० ३०१-३११
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