________________
1
सत्य है । जीव स्वकर्मानुसार चार गतियों में से किसी भी गति में गया है । ओर वहां जन्म स्थान में जन्म लेता है। अतः पुनर्जन्म कहा जाता है। जीव ने फिर से किसी गति में जन्म लिया ।'
जीव को जाने में कितना समय लगता है ?
पुनर्जन्म - फिर से जन्म जीव का होता है । जीवात्मा अनादि अनंत काल तक स्वस्वरूप में नित्य रहनेवाला द्रव्य है । अविनाशी शाश्वत पदार्थ है । विनाशी और अनित्य रहता तो कब का नष्ट हो चुका होता। लेकिन अनादि-अनंतकाल के बाद भी जीव अपने स्वरूप में, अपने अस्तित्व में जैसा था वैसा ही रहा है। सुवर्णएक धातु है । उसके आभूषण बनते हैं। सभी आभूषणों में सोना मूलभूत धातु (द्रव्य) है। चाहे आपने चेन बनाई - नहीं पसंद आई गलाकर अंगूठी बनवाई फिर गलाकर कंगन बनवाया। इस तरह आप बार-बार आभूषण की पर्याय बदलते ही गए । लेकिन सोना नष्ट हुआ? सोना बदला ? सोना मूलभूत धातु- द्रव्य है । वह नष्ट नहीं हुआ। ज्यों का त्यों ही रहा । पर्याय - आकृति बदलती गई । उसी तरह आत्मा मूलभूत द्रव्य है । शाश्वतं - अविनाशी द्रव्य है । वही बारबार जन्म लेती है। एक बार घोड़ा बनी, मृत्यु के बाद हाथी बनी, वही पुनः देवगति में जाकर देव बनी, वही पुनः मनुष्य गति में जन्म लेकर मनुष्य के बाद हाथी बनी, वही आत्मा नरक में जाकर नारकी बनी । इस तरह चारों गति में ८४ लक्ष योनियों मे जाती है। जन्म लेती है । इस तरह बार-बार पुनः जन्म लेती है । शरीर नहीं। शरीर तो आत्मा के लिए रहने का घर मात्र हैं। आधार स्थान है । शरीर एक आकृति - पर्याय है । जो आभूषण की तरह है। बदलती रहती है ।
-
अब जब निश्चित है क़ि आत्मा ही जन्म लेती है । एक गति से दूसरी गति में, एक जाति से दूसरी जाति में, एक जन्म से दूसरे जन्म में, एक भव से दूसरे भव में आना-जाना-आवागमन आत्मा करती है अतः प्रश्न यह है कि मृत्यु के बाद जीव को एक शरीर छोड़कर दूसरी गति में अपने गन्तव्य जन्मस्थान तक पहुँचने में कितना समय लगता है ? घर में कोई मरा- किसी की मृत्यु के बाद शव अभी घर में पड़ा है। अभी श्मशान यात्रा नहीं निकाली है। उसका बेटा कलकत्ता से कल सुबह तक आ जाएगा। अतः एक दिन, डेढ दिन तक शव पड़ा रखा है । अन्त्योष्टि नहीं की है। तो क्या तब तक एक दिन या डेढ दिन आत्मा रुकी रहेगी ? दूसरी गति में नहीं जाएगी ? जन्म नहीं लेगी ? नहीं ! आपकी अपनी धारणा चाहे जो भी हो जैसी भी हो जीव को यह नहीं देखना है । आप श्मशान यात्रा निकालो या न निकालो, जल्दी निकालो या देरी से निकालो । जलाओ या मत जलाओ । आत्मा को कोई संबंध नहीं है । जिस क्षण आत्मा ने देह छोड़ा उसी क्षण आत्मा रवाना हो गई। स्वोपार्जित कर्मानुसार जहां कर्म की गति नयारी
१६
U