Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 01
Author(s): Arunvijay
Publisher: Mahavir Rsearch Foundation Viralayam

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Page 214
________________ 1 ऐसे सैकड़ो दृष्टान्त शास्त्रों में मिलेंगे । चरित्र ग्रंथो में सैंकड़ो कथानकों में ऐसे प्रसंग मिलते हैं। शास्त्र तो यहां तक कहता है कि जाति स्मरण ज्ञान होने के बाद जीव १-२-१०-२० ही नहीं असंख्य भवों का भी जान सकता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है । वर्तमान काल में भी ऐसे कई दृष्टान्त अखबारों में, मासिकों में छपते हैं। शकुंतला नामक लड़की का तथा दीपक नामक ४ वर्ष के लडके का दृष्टान्त बहुचर्चित हुए हैं। जिनकी सत्यता की परीक्षा परीक्षकों ने की है । आज इन बातों को झूठ या कपोल कल्पित नहीं मानते हैं । पूर्व जन्म की बात को वर्तमान विज्ञान भी स्वीकारता है । Hypnotism संमोहन से स्मृति ज्ञान : वर्तमान में Hypnotism संमोहन की प्रक्रिया काफी चली है। संमोहन की क्रिया में मनुष्य को बाह्य सूचना देते हुए भूतकाल की घटनाओं में ले जाया जाता है । वह मनुष्य स्वयं अपनी बुद्धि का उपयोग न करे और सिर्फ सूचना दाता के कथननुसार विचार करता जाय । १०-२० - २५ बार पूर्व - भूतकाल की घटना को बार बार याद दिलाई जाती है, और देखते ही देखते वह मनुष्य भूतकाल की घटना की स्मृतियों में खो जाता है । सुषुप्त मस्तिष्क जागृत हो जाता है। वर्तमान की अवस्था पर परदा गिर जाता है और भूतकाल की स्मृतियां जो सुषुप्त मस्तिष्क में पड़ी थी वे परदे पर छायाचित्र की तरह उभरने लगती है। स्मृति पटल पर याद आने लगती है। जैसे मानों दिमाग में केसेट घूम रही हो, वह एक एक घटना कहता जाता है, वैसा वर्तन करता जाता है। यहां तक कि वह २ साल का बच्चा है। ऐसे सूचनों के घेरे में उसकी स्मृति जगाई जाय तो वह २ साल के बच्चे की तरह मुंह में अंगूठा रखकर चूसने लगता है, बात व चेष्टा करने लगता है। यह संमोहन पूर्व स्मृति को जगाने का मतिज्ञान का ही स्वरूप है । वर्तमान विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे कई प्रयोग हो रहे हैं, जिसमें तुम मां के गर्भ में हो ऐसे सूचन दिये जाने पर वह गर्भस्थ भ्रूण की मुद्रा में बैठ जाता है। वे दिन उसकी स्मृति पर ताजे बनकर आने लगते हैं। इस तरह पूर्व स्मृतियों के खजाने रूप मतिज्ञान का यह अद्भूत स्वरूप है । संमोहन की जितनी गहराई में (Deep Trans) में ले जाते हैं उतनी ज्यादा भूतकाल की स्मृतियां ताजी होती है । अब तुम पूर्व जन्म में हो, गत भव के नाम का सूचन करने मात्र से इतनी शिघ्र पूर्व स्मृतियां ताजी नहीं हो रही है फिर भी यह असंभव नहीं है, वर्तमान में, भी मतिज्ञान के लिए कोई रोक टोक नहीं है। हां, असंख्य भवों की स्मृतियां ताजी होना जरूर असंभव है। E.S.P. : १९७ - कर्म की गति नयारी


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