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परंतु मैंने जहां तक तेरे भव कहे हैं उसके आगे कोई दूसरे केवलज्ञानी जो मेरे ही जैसे हजार मुंह और हजार वर्ष के आयुष्य वाले हो, वे आगे तीव्र गति से कहते ही जाय
और उनके आयुष्य की समाप्ति के बाद पुनः तीसरे, पुनः चौथे, पांचवे, पच्चीसवें, पचासवें, सौवें, पांच सौवें, हजारवें केवलज्ञानी बिना रूके क्रमशः नाम निर्देश मात्र करते हुए द्रुतगति से कहते ही जाय...तो...इस बीच सुनने वाले ने पूछा हे कृपानाथ ! अब आप यह तो बताइए कि कितने भव कहे और कितने कहने शेष रहे?
इस प्रश्न के उत्तर में अल्पज्ञ को सर्वज्ञ प्रभु क्या उत्तर दें ? कैसे समझाएं ? एक शब्द में कहे तो भी कैसे कहें ? अनंत भव कहें और अनंत भव अभी कहने शेष हैं। तो भी स्पष्ट नहीं होता। अतः उत्तर को दृष्टान्त से समजाते हए कहते हैं कि - मानों एक द्वीप के चारों तरफ समुद्र हो, उसके बाद क्रमशः दूसरा दुगुना हो। तो अन्तिम असंख्यातवां समुद्र कितना बड़ा-लम्बा-चौड़ा होगा ? वह भी शायद असंख्य योजन परिमित विस्तार का होगा। उस समुद्र के किनारे एक चिड़िया पानी पीने आई हो और उस चिड़िया ने जितना पानी पिया है उतने ही सिर्फ तेरे भव कहे हैं और सारे समुद्र का जितना पानी पीना शेष है उतने तेरे भव कहने शेष है।
सर्वज्ञ भगवान के उत्तर के इस काल्पनिक रूपक से आप कल्पना लगाइये कि एक - एक हजार वर्ष के आयुष्यवाले हजार केवलज्ञानीयों ने अविरत इतने भव कहने के बाद भी कितने थोड़े भव कहे हैं ? कितने थोड़े अल्प भवों की संख्या का भावार्थ दिखाने के लिए - 'चिड़ियाने जितना पानी पिया है उतने तेरे भव कहे हैं। ये शब्द प्रयुक्त किये हैं। चिड़िया का शरीर कितना है ? वह पी-पीकर भी कितना पानी पी सकता है? मनुष्य के जितना तो नहीं। सिर्फ थोड़े से भव कहे है। तथा 'आगे अभी और कितनी भव संख्या कहनी शेष है ?' यह दिखाने के लिए रूपक के रूप में - 'जितना समुद्र का पानी पीना शेष है उतने भव कहने शेष है' ये शब्द प्रयोग में लाए हैं। अब आप सोचिए - कितने भव इस जीव ने भव संसार में किये होंगे ? यही हमारे सबके विषय में है। हमारी सभी की भूतकाल के भवों की यही दशा है। इतनी लम्बी संख्या है। अरे ! जो संख्या में कभी भी समा नहीं सकती। उसमें भी यह तो भूतकाल के भवों की संख्या के विषय की बात है। भविष्य के भवों की संख्या का क्या हाल है ? वह और दूसरे दृष्टांत से देखें। भावि भव संख्या : -
, एक बार की बात है दो भाई ने किसी सर्वज्ञ भगवान को अपनी भव संख्या के बारे में पुछा-हे प्रभु ! अब संसार से मुक्त होकर मोक्ष में जाने के लिए हमारे कितने भव (जन्म) शेष रहे हैं ? कितने भवों बाद हम मोक्ष में जाएंगे ? केवलज्ञानी सर्वज्ञ प्रभु ने उत्तर देते हुए फरमाया कि-छोटा भाई सात भव में मुक्त होगा और बड़ा
कर्म की गति नयारी