________________
फिर से जन्म । पुनः शब्द 'फिर से' के अर्थ में हैं और जन्म का अर्थ स्पष्ट ही है । फिर से जन्म धारण करना या लेना ! अब बताइए, जन्म लेता कौन है ? किसका जन्म होता है ? शरीर का कि आत्मा का ? क्या शरीर कभी पुनः जन्म लेता है ? नहीं । संभव ही नहीं है । मृत्यु के बाद हम शरीर को तो अग्नि में जलाकर भस्म कर देते हैं । फिर शरीर के जन्म का प्रश्न ही कहां उठता है ? नहीं जलाने वाले भी कबर बनाकर गाड देते हैं । गाडा हुआ शरीर भी सड - गलकर नष्ट हो जाता है । अब सोचिए, कौन जन्म लेता है ? मृत्यु के समय अस्पताल में खड़े रहते हैं। जन्म तो किसी का नहीं देखा लेकिन मौत के प्रसंग पर तो खड़े रहे हैं। अंत में मौत के समय क्या व्यवहार करते हैं ? कैसी भाषा बोलते हैं ? जीव गया । बस, अब जीव जाने वाला है। बस, जीव जाएगा। जीव गया की भाषा अक्सर सुनते हैं। शरीर गया यह कोई नहीं बोलता । चूंकी शरीर तो सामने है। शरीर कहां उड़कर जाने वाला है? उड़ने वाले पक्षियों का भी यही पड़ा रहता है । यद्यपि अदृश्य - अरूपी गुणवाला जीव आंखों से दिखाई नहीं देता फीर भी जिसके शरीर में रहने पर सुख - दुःख-हलनचलन- बोलना-खाना-पीना, आदि सारी क्रियाएं चल रही थी वह सब बन्द हो गई । अब मुरदा रहा है। अब सुख-दुख कुछ भी नहीं सहन कर सकता । इसलिए जला दिया जाता है ।
66
""
अतः जीव जो गया है वही जन्म धारण करता है । जीव गया में गया-गम धातु का प्रयोग हैं। 'गया' शब्द आते ही कहाँ गया यह प्रश्न खड़ा होता है । किसी स्थान - क्षेत्र विशेष का उत्तर सामने आता है । किसी स्थान में गया होगा । किसी देश - नगर में गया होगा 'किसी अन्य गति में गया होगा । बस तो यही बात - कर्म की गति नयारी
१५