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जो सहता है, वही रहता है
जाती है। यह भी बहुत संभव है।
लोग मानते हैं कि चलनी में पानी नहीं ठहरता, सारा नीचे आ गिरता है। पर चलनी में पानी को ठहराना भी असंभव नहीं रहा। पानी को बर्फ में बदल दो, फिर उसे चलनी में डालो। वह ठहर जाएगा।
___ हम यदि एक ही दृष्टि से किसी बात को पकड़ लेते हैं, वहाँ कठिनाई होती है। चलनी में पानी नहीं भी ठहर सकता और ठहर भी सकता है। अवस्था का परिवर्तन चाहिए। अवस्था के परिवर्तन के साथ-साथ सारी असंभव बातें संभव हो जाती हैं। दृष्टिकोण में परिवर्तन
एक व्यक्ति गुरु के पास आया और बोला, 'गुरुदेव, दुःख से छूटने का कोई उपाय बताओ।' बड़ा प्रश्न था। थोड़े शब्दों में बहुत बड़ा प्रश्न कि दुःखों की दुनिया में जीना और दुःख से छूटने का उपाय करना। बात छोटी नहीं थी, बहुत बड़ी थी।
गुरु ने बताया, 'एक काम करो, जो आदमी सबसे सुखी हो, उसका अंगरखा ले आओ, फिर दुःख से छूटने का उपाय मैं तुम्हें बता दूँगा।' वह गया, एक घर में जाकर पूछा, 'भाई, तुम तो सबसे सुखी हो?'
कोई न पूछे, तब तक सब ठीक है। तरंग न उठे, तब तक समुद्र शांत है। तूफान न आए, तब तक जल शांत है। बवंडर न उठे, तब तक सब ठीक है, किन्तु जब तूफान आता है, बवंडर आता है, तब तरंग ही तरंग हो जाती हैं। मूल स्वभाव का पता ही नहीं चलता। प्रश्न न हो तब तक ही सब ठीक है, पर जब प्रश्न पूछा जाता है, ठीक बेठीक हो जाता
___ उसने कहा, 'मेरा पड़ोसी इतना बदमाश है कि आए दिन मुझे सताता रहता है। भला, मैं कैसे सुखी हो सकता हूँ? मैं तो अत्यंत दुःखी हूँ।'
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