________________
१३६
जो स्वावलम्बी होता है
अध्याय कहता है
Jain Education International
जो सहता है, वही रहता है
• वह किसी का शोषण नहीं करता है ।
• वह श्रम की चेतना का विकास करता है ।
वह दुःख में सुख की खोज करता है ।
• वह मूर्च्छा को कम करने का प्रयास करता है ।
• वह ठंडे दिमाग से चिन्तन करता है ।
• वह हमेशा ऊंचा लक्ष्य बनाता है।
• वह भाग्य के भरोसे नहीं रहता है ।
वह स्व-संवेदन की भूमिका तक पहुंचाने वाले मार्ग पर अपने चरणों को गतिशील करता है ।
快
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org