Book Title: Jo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 194
________________ १८२ जो सहता है, वही रहता है अध्याय कहता है जो जीवन की दिशा बदल लेता है • वह अपनी मौलिक मनोवृत्तियों का परिष्कार करता I • वह अपनी दशा का परिवर्तन कर लेता है । वह अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाता है । • वह जीवन शोधन के लिए अहिंसा का प्रयोग करता है । • वह मोहनीय कर्म को क्षीण करने की साधना करता है । • वह जातिवाद में विश्वास नहीं करता है । • वह समानता की चेतना जगाने का कार्य करता है 1 Jain Education International • वह करुणा का विकास करता है । • वह समस्याओं के समाधान में अपना श्रम नियोजित करता है । • वह अभ्यारण्य बनाने पर ध्यान केन्द्रित करता है । • वह जीवन और जीविका के बीच भेदरेखा खींचने का कार्य करता है । + For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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