Book Title: Jo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 193
________________ दिशा आर दशा करके देखें • ज्योति केन्द्र प्रेक्षा-आवेग शांति के लिए सहज आसन, आंखें कोमलता से बंद चित्त को ललाट के मध्य ज्योति केन्द्र पर केन्द्रित करें। वहां चमकते हुए श्वेत बिन्दु का ध्यान करें अथवा आश्विन के पूर्ण चांद को देखे। पूरे ललाट पर श्वेत प्रकाश चमक रहा है ऐसा अनुभव करें। मन ही मन चिन्तन करें आवेग शांत हो रहे हैं। अब सम्पूर्ण ललाट पर सफेद रंग में इस वाक्य को लिखा हुआ देखें। थोड़े समय बाद दो तीन श्वास लें और महाप्राण ध्वनि के साथ प्रयोग सम्पन्न करें। मंत्र का प्रयोग भक्तामर प्रणत-मौलिमणि-प्रभाणामुद्योतकं दलित-पाप-तमो वितानम्। सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादाबालम्बनं भवजले पततां जनानाम्।। पूर्वाभिमुख होकर प्रतिदिन एक माला। परिणाम-प्रत्येक क्षेत्र में सफलता एवं सम्यक् दशा का निर्माण । संकल्प का प्रयोग • मैं आत्मानुशासन को विकसित करने का प्रयास करूंगा। • मैं समानता की चेतना का विकास करूंगा। • मैं करुणा का विकास करूंगा। • मैं जातिवाद को बढ़ावा नहीं दूंगा। • मैं समस्याओं के समाधान मे अपने आपको नियोजित करूंगा। Jain Education International ional For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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