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लक्ष्य और योजना कभी छोटे नहीं होने चाहिए। छोटे लक्ष्य और छोटी योजनाओं से उत्साह नहीं जागता। वे कभी पूर्णता को प्राप्त नहीं होते। बड़ी योजनाएं और बड़े लक्ष्य पूरे होते हैं, क्योंकि उनके पीछे उत्साह और प्रेरणा | का बाल होता है।
माज सापेक्ष का दर्शन और प्रयोग है, इसलिए प्रत्येक बात सापेक्ष है। श्रम और स्वावलंबन भी सापेक्ष हैं । व्यक्ति के लिए
यह आवश्यक है कि वह अपना आलंबन स्वयं बने, दूसरा उसका आलंबन न बने। यह प्रमुख बात है, किन्तु दूसरे का सहारा लेना भी अवांछनीय और गलत नहीं माना गया। यह एक सामाजिक विधा है। भगवान महावीर ने इस बात पर ध्यान आकृष्ट किया, 'यदि तुम दूसरे का सहारा लेते हो, दूसरे का श्रम लेते हो, तो उसके साथ न्याय करो, उसका शोषण मत करो।' जहाँ शोषण, वहाँ समस्या
जीवनशैली का एक सूत्र है, शोषण मत करो। शोषण से मुक्त होना धर्म का बड़ा आचार है। किसी भी मात्रा में, किसी भी दृष्टिकोण से, जिसका
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