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जो सहता है, वही रहता है
ई अध्याय कहता है
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जो सार्वभौम व्यक्तित्व का निर्माण करता है
• वह सात्त्विक गुणों का धारक होता है।
• वह प्राणीमात्र को अभयदान देता है।
• वह प्रतिकियात्मक हिंसा से बचता है।
• वह अनुशासित जीवन जीता है।
• वह संकल्प सिद्धि का प्रयोग करता है।
• वह मन का दास नहीं, स्वामी होता है।
• वह मजबूत मनोबल का धनी होता है।
• वह मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देता है।
• वह अप्रमत्त रहने का अभ्यास करता है।
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