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समता की दृष्टि
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करके देखें
• अन्तर्यात्रा का प्रयोग-चेतना के ऊर्ध्व अवतरण हेतु।
सहज आसन, आंखें कोमलता से बंद। चित्त को शक्ति केन्द्र पर ले जाएं। वहां से सुषुम्ना मार्ग की यात्रा करते हुए ज्ञान केन्द्र तक लाएं। फिर उसी मार्ग से शक्ति केन्द्र पर ले जाएं। मंद गति से यह यात्रा चलती रहे। वहां पर होने वाले प्राण के प्रकंपनों का अनुभव करें। चित्त की गति को श्वास की गति के साथ जोड़ दें। श्वास छोड़ते समय चित्त को नीचे से ऊपर ले जाएं और श्वास लेते समय चित्त को ऊपर से नीचे लाएं। इस तरह का प्रयोग प्रतिदिन १५ मिनट करें। मंत्र का प्रयोग अरहंता मंगल-चित्त को कंठ के मध्यभाग विशुद्धि केन्द्र पर केन्द्रित रखते हुए मंत्र की प्रतिदिन एक माला करें।
परिणाम-भाव-विशुद्धि। • आसन-प्राणायाम
शंशाकासन-वन्दनासन में पंजों के बल पर बैठे। हाथों को घुटनों पर रखें। श्वास भरते हुए हाथों को आकाश की ओर उठायें। अब श्वास छोड़ते हुए हाथ एवं ललाट को भूमि का स्पर्श कराएं। श्वास को रोकें, फिर श्वास को भरते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब श्वास का रेचन करते हुए हाथों को घुटनों न पर स्थापित करें। यह एक आवृति है, इस प्रकार प्रतिदिन प्रातः तीन बार करें। लाभ-क्रोध उपशमन एवं मानसिक शांति ।
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