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जो सहता है, वही रहता
अध्यायकहता है
जो समता की दृष्टि जागृत कर लेता है
• वह क्रोध को विफल करना जानता है।
• वह अनुकूल-प्रतिकूल स्थितियों में सम रहता है।
• वह दूसरों की आलोचना नहीं करता है।
• वह सत्य की खोज में पुरुषार्थ करता है।
• वह चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाने का अभ्यास करता है।
• वह व्यवहार कुशलता को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
• वह विधायक भावों का निर्माण करता है।
• वह अपनी इन्द्रियों का सम्यक् उपयोग करता है।
• वह अपनी आत्मा को ही अपना मित्र मानता है।
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