Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 9
________________ ३. भावक्रिया एवं मानसिक जागरूकता का अभ्यास । ४. एकाग्रता के विविध प्रयोग (१) केवल दीर्घश्वास, (२) खेचरी मुद्रा के साथ दीर्घश्वास, (३) श्वास-र -संयम के साथ दीर्घश्वास । ५. अवधान (स्मृति) के प्रयोग - ( १ ) अंक- स्मृति २१ अंक तक संख्या का स्मरण रखना, (२) शब्द - स्मृति १० शब्दों तक शब्दों का स्मरण रखना । (च) अनुप्रेक्षा : १. एकत्व - अनुप्रेक्षा २. अन्यत्व - अनुप्रेक्षा ३. कर्त्तव्यनिष्ठा की अनुप्रेक्षा ४. स्वावलम्बन की अनुप्रेक्षा मूल्यांकन के बिन्दु १. आसन, प्राणायाम एवं यौगिक क्रियाओं में विधि, क्रिया, प्रभाव एवं लाभ का मूल्यांकन होगा। १५ अंक आधार पर । २. कायोत्सर्ग का मूल्यांकन – निर्देश - शैली में भाषा, उच्चारण एवं विधि-पाठ के ५ अंक मिनिट) ५. सम्प्रदाय-निरपेक्षता की अनुप्रेक्षा ६. धैर्य की अनुप्रेक्षा ७. अनासक्ति की अनुप्रेक्षा ३. प्रेक्षाध्यान एवं अनुप्रेक्षा (क) निर्देश - शैली (ख) प्रयोग (ग) लयबद्ध दीर्घश्वास (५ सेकण्ड रेचक, ५ सेकण्ड पूरक, अभ्यास की अवधि ५ १५ अंक (घ) एकाग्रता (मनोवैज्ञानिक परीक्षणों की पद्धति पर मूल्यांकन) १५ अंक (ड़) स्मृति - परीक्षा १५ अंक (च) पर्यवेक्षण - अभिलेख ५ अंक ४. प्रेक्टिकल नोट बुक १० अंक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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