Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 41
________________ जीवन विज्ञान-जैन विद्या 32 (इ) दोनों पंजों को मिलाकर खड़े रहें ।रेचन कर घुटनों को मोड़ें और दाएं-बाएं गोलाकार पांच बार घुमाएं । (ई) दाहिने पँर को पिंडली की ओर नीचे की ओर ... लाकर के पंजे को भूमि से थोड़ा ऊपर कर फिर नीचे मोड़ें । ऐसा ही दूसरे पैर से करें । . (उ) पैर की एक-एक अंगुली को सक्रिय करें । फिर दाएं से वाएं ओर बाएं से दाएं पैर को गोलाकार धुमाएं । ऐसा ही दूसरे पैर से करें । इसे तीन बार करें । लाभ- घुटने, पिण्डली, पंजे तथा अंगुलियों का दर्द दूर होता है । शक्ति का संचार होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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