Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 46
________________ 37 प्रेक्षाध्यान से भर रहा है। उन्हें देखें, अनुभव करें। ...... अनुभव करें ....... वासनाएं अनुशासित हो रही है, वासनाएं अनुशासित हो रही हैं, वासनाएं अनुशासित हो रही दर्शन केन्द्र पर अरुण रंग का ध्यान अनुभव करें-अपने चारों ओर बाल सूर्य की भांति चमकते हुए अरुण रंग का प्रकाश फैल रहा है। अरुण रंग के परमाणु फैल रहे हैं । अब अरुण रंग का श्वास लें, अनुभव करें-प्रत्येक श्वास के साथ अरुण रंग के परमाणु शरीर के भीतर प्रवेश कर रहे हैं। चित्त को दर्शन केन्द्र पर केन्द्रित करें। वहां पर चमकते हुए अरुण रंग का ध्यान करें। (कुछ समय बाद) अनुभव करें-दर्शन केन्द्र से अरुण रंग के परमाणु निकलकर शरीर के चारों ओर फैल रहे हैं। पूरा आभामंडल अरुण रंग के परमाणुओं से भर रहा है। उन्हें देखें, अनुभव करें ...... अनुभव करें-अन्तर्दृष्टि जागृत हो रही है, अन्तर्दृष्टि जागृत हो रही है, अन्तर्दृष्टि आगृत हो रही है। आनन्द जाग रहा है, आनन्द जाग रहा है, आनन्द जाग रहा है। ज्ञान केन्द्र पर पीले रंग का ध्यान' ___अनुभव करें-अपने चारों ओर सूरजमुखी के फूल या सुवर्ण की भांति चमकते हुए पीले रंग का प्रकाश फैल रहा है- पीले रंग के परमाणु फैल रहे हैं। अब इस पीले रंग का श्वास लें। अनुभव करें-प्रत्येक श्वास के साथ पीले रंग के परमाणु शरीर के भीतर प्रवेश कर रहे हैं। चित्त को ज्ञान केन्द्र पर केन्द्रित करें। वहां पर चमकते हुए पीले रंग का ध्यान करें। . (कुछ समय बाद) अनुभव करें- ज्ञान केन्द्र से पीले रंग के परमाणु निकलकर शरीर के चारों ओर फैल रहे हैं। पूरा आभामंडल पीले रंग के परमाणुओं से भर रहा है। उन्हें देखें, अनुभव करें। ....... अनुभव करें- ज्ञान-तंतु विकसित हो रहे हैं, ज्ञान-तंतु विकसित हो रहे हैं, ज्ञान-तंतु विकसित हो रहे हैं। ज्योति केन्द्र पर श्वेत रंग का ध्यान अनुभव करें- अपने चारों ओर पूर्णिमा के चन्द्रमा के प्रकाश की भांति चमकते हुए श्वेत रंग का प्रकाश फैल रहा है- श्वेत रंग के परमाणु फैल रहे हैं। 1- यह ध्यान चाक्षुष केन्द्र पर भी कराया जा सकता हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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