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कायोत्सर्ग
35 पेडू का पुरा भाग, पेट के भीतरी अवयव-दोनों गुर्दे, बड़ी आंत, छोटी आंत, पक्वाशय, अग्न्याशय, आमाशय, तिल्ली, यकृत, तनुपट। ..
___ छाती का पूरा भाग-हृदय, दायां फेफड़ा, बायां फेफड़ा, पसलियां, पीठ का पूरा भाग-मेरुदण्ड, सुषुम्ना, गर्दन । दाएं हाथ का अंगूठा, अंगुलियां, हथेली, मणिबन्ध से कोहनी और कोहनी से कन्धा। इसी प्रकार बाएं हाथ के प्रत्येक अवयव पर चित्त को केन्द्रित करें।
(तीन मिनट)
कंठ, स्वर-यंत्र, ठुड्डी, होठ, मसूढ़े, दांत, जिह्म, तालु, दायां कपोल, बायां कपोल, नाक, दायीं कनपटी, कान, बांई कनपटी, कान, दायीं आंख, बायीं आंख, ललाट और सिर, प्रत्येक को शिथिलता का सुझाव दें और उसका अनुभव करें। (पांच मिनट)
शरीर के प्रत्येक अवयव के प्रति जागरूक रहें। शरीर के चारों ओर श्वेत रंग के प्रवाह का अनुभव करें। शरीर के कण-कण में शांति का अनुभव करें। (दस मिनट)
श्वेत प्रवाह में शरीर बहता जा रहा है।
जैसे पानी की धारा में तिनका, लकड़ी का टुकड़ा अथवा शव बहता है उसी प्रकार शरीर को श्वेत प्राण के प्रवाह में बहने दें ........ बहने दें ............ अनुभव करें-शरीर बहता जा रहा है। पांचवा चरण
_ पैर के अंगूठे से सिर तक चित्त और प्राण की यात्रा करें। (तीन बार सुझाव दें)
अनुभव करें-पैर से सिर तक चैतन्य पूरी तरह से जागृत हो गया है। ........ प्रत्येक अवयव में प्राण का अनुभव करें।
तीन दीर्घश्वास के साथ कायोत्सर्ग सम्पन्न करें। दीर्घ श्वास के साथ प्रत्येक अवयव में सक्रियता का अनुभव करें। बैठने की मुद्रा में आएं। शरण सूत्र का उच्चारण करें। "वंदे सच्चं" से कायोत्सर्ग संपन्न करें। (कोई व्यक्ति अगर कायोत्सर्ग सम्पन्न होने पर न लौटे तो उसका स्पर्श न करें, जगाएं भी नहीं। प्रशिक्षक स्वयं निरीक्षण करें।)
(पांच मिनट)
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