Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 55
________________ (च) अनुप्रेक्षा 1. एकत्व अनुप्रेक्षा प्रयोग-विधि 1. महाप्राण ध्वनि 2 मिनट 2. कायोत्सर्ग 5 मिनट 3. हरे रंग का श्वास ले। अनुभव करें-श्वास के साथ हरे रंग के परमाणु भीतर प्रवेश कर रहे हैं। 3 मिनट 4. शांति केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान करें। 3 मिनट 5. शांति केन्द्र पर ध्यान केन्द्रित कर अनुप्रेक्षा करें "मैं अकेला हूं, मेरी आत्मा किसी से अनुबन्धित नहीं है।" इस शब्दावली का नौ बार उच्चारण करें। फिर इसका नौ बार मानसिक जप करें। 5 मिनट 6. अनुचिन्तन करें व्यक्ति अकेला ही जन्मता है और अकेला ही मरता है। व्यक्ति अकेला ही संवेदन करता है और अकेला ही अनुभव करता है। व्यक्ति अकेला ही अतीत की स्मृति करता है और अकेला ही सोचता है। व्यक्ति अकेला ही सुख-दुःख का अनुभव करता है-ये सारे गुण अकेले में ही होते हैं, किसी से अनुबंधित नहीं। इसलिए मैं अकेला हूं। 7. लम्बे और गहरे दीर्घश्वास लें। हर श्वास के साथ संकल्प करें 'मैं अकेला हूं।' एवं श्वास-संयम (कुम्भक) के साथ अकेलेपन का अनुभव करें। 5 मिनट 8. अब इस शब्दावली का उच्चारण करें एगो में सासओ अप्पा, नाण दंसण संजुओ। सेसा में बाहिरा भावा, सव्वे संजोग-लक्खणा ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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