Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 70
________________ अनुप्रेक्षा क्षेत्र में भी उन व्यक्तियों ने ही अपूर्व देन दी है जो अध्ययन और विचार की गहराई में गये हैं। इन्हीं लोगों ने संसार को सब कुछ दिया है। चाहे बिजली, चाहे बड़े-बड़े प्रासाद, चाहे सड़के, चाहे बड़े-बड़े कारखाने, चाहे जीवन की सुखसुविधा के सारे साधन और उपकरण उन्हीं लोगों ने दिये हैं जिन्होंने गहराई में जाकर सोचा है। हमारे किसान, हिन्दुस्तानी किसान सैकड़ों वर्षों से खेती करते चले आ रहे हैं, पारिवारिक ढंग से करते चले आ रहे हैं। आपने कभी शंकर बाजरा नहीं सुना होगा, कभी शंकर गेहूं नहीं सुना होगा, शंकर मक्का नहीं सुना होगा, आपने कभी यह नहीं सुना कि नयी-नयी पौधे तैयार की जा सकती हैं। नये फलों का विकास हो सकता है। आज लाल अमरूद भी पैदा किए जा रहे हैं। अनेक फलों में अनेक प्रकार की सुगन्धे भी पैदा की जा रही हैं। ये सारे प्रयोग किस आधार पर हो रहे हैं ? सारे विज्ञान और ज्ञान की गहराई के आधार पर हो रहे हैं। अन्यथा जैसा चलता था वैसा ही चलता रहता। हमारे लोग झोंपड़ों में रहते थे। शताब्दियों तक झोंपड़ों में रहते ही चले गए। उन्हें उससे आगे कभी कुछ नहीं सूझा। ऐसा क्यों हुआ? साथ में अध्ययन नहीं था। अध्ययन के बिना विकास नहीं होता। जो विकास होता है, वह अध्ययन के आधार पर ही होता है। कर्म और ज्ञान-ये दो हैं। ज्ञान गहराई है और कर्म उसकी ऊंचाई है या अभिव्यक्ति है। व्यक्त और अव्यक्त ये दो बाते हैं। भारतीय दर्शन में व्यक्त और अव्यक्त की चर्चा बहुत मिलेगी। अव्यक्त नीचे रहता है, छिपा हुआ रहता है। व्यक्त हमारे सामने आता है, प्रकट रहता है। किन्तु कोई भी व्यक्त अव्यक्त के बिना नहीं होता। जिस व्यक्त के नीचे अव्यक्त नहीं है, वह कभी व्यक्त नहीं ले सकता। व्यक्त हो सकता है ज्ञान के आधार पर, जब कर्म का योग मिलता है। हमारा कर्म इसलिए विकसित नहीं हो रहा है कि हमारे ज्ञान में गहराई नहीं है। युवक को अध्ययन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और अध्ययन भी वैसा अध्ययन जो शतशाखी बन सके। नारी का कर्त्तव्य-बोध सबसे पहले हम यह निर्धारण करें कि हमें समाज को कैसा बनाना है ? इसके पश्चात् हम सबसे पहले स्त्रियों को प्रबुद्ध करें और उन्हें एक ऐसा संकल्प दें कि उन्हें कैसे पुत्र पैदा करना है ? वह बहुत ही कार्यकारी बात होगी। माता के मन में जो संकल्प होता है, जैसा पुत्र वह चाहती है, यदि संकल्प बलवान् होता है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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