Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 53
________________ जीवन विज्ञान-जैन विद्या यह स्पष्ट है कि उपरोक्त संख्या को याद रखने के लिए जो दो वाक्य दिए हैं, वे सरलता से याद रखे जा सकते हैं। वाक्यों को न बनाना चाहे, तो प्रत्येक खण्ड (तीन-तीन अंको का) को अपने अपने कोष्ठक में जमा करे जिसे पूर्व निर्धारित कर लें जैसेप्रथम कोष्ठक-कपड़ा-कमल दूसरा कोष्ठक-रेडियो-जल में तीसरा कोष्ठक-गणेश-होता है चौथा कोष्ठक-चन्द्रमा-पतंग पांचवां कोष्ठक-पतंग-पकड़ी छठा कोष्ठक-मगर-गीता ने सातवां कोष्ठक-तालाब-पानी में कोष्ठक के शब्द (चित्र) के साथ अंकों से निर्मित शब्द को वाक्य द्वारा जोड़ें1. कपड़े से कमल ढक दिया। 2. रेडियों जल में डूब गया। 3. गणेश देव होता है। 4. चन्द्रमा तक पतंग पहुंच गई। 5. पंतग पकड़ी गई। 6. मगर गीता ने देखा। 7. तालाब के पानी में आदमी भी डूब गया। इस प्रकार अंकों को सरलता से याद किया जा सकता है। अंकों को ग्रहण करते समय एकाग्रता का प्रयोग करें। उन्हें दो-तीन बार दोहरा लें। फिर अक्षरों में परिणत करें एवं शब्द-निर्माण करें। फिर उपरोक्त पद्धति से शब्दों से वाक्य-निर्माण करें या कोष्ठक के चित्रों के साथ वाक्य द्वारा जोडें । 2. शब्द-स्मृति के प्रयोग- (10 शब्द तक याद रखना) शब्द-स्मृति के लिए कोष्ठकों का निर्माण पहले कर ले। फिर प्रत्येक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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