Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 52
________________ प्रेक्षाध्यान (3) श्वास- संयम के साथ दीर्घश्वास चित्त को नथुनों के भीतर केन्द्रित कर अन्त कुम्भक और बहि: कुम्भक के साथ दीर्घश्वास का प्रयोग करें। एक मिनट अधिकतम 3 श्वास तक पहुंचे। (5 मिनट का प्रयोग) (4) मनोवैज्ञानिक परीक्षण (यह टेस्ट निर्धारित पद्धति के आधार पर होगा ।) 5. अवधान (स्मृति) के प्रयोग (1) अंक - स्मृति के प्रयोग- ( 21 अंक तक की संख्या याद करना) अंक - स्मृति के लिए अंकों का अक्षरों में परिवर्तन कर अक्षरों के संयोग से शब्दों का निर्माण कर उन्हें याद रखने का तरीका सरल है। अक्षरों में परिवर्तन के लिए अपनी सांकेतिका का निर्माण कर लें। जैसे 1- क ख न ण 2- र, ट, 3- ग, घ, 4- च, छ, 5- प, फ, 6-ब, भ, 7- व, त, 8- स, श, ल, 0-द, ध मात्राएं अंक - शून्य रहे। स्वरों का उपयोग भी स्वतंत्रता से हो। उदाहरणार्थ 1 6 9 कम ल • 9- ह, 5 7 प तं ग Jain Education International ठ, ज्ञ ज, य म थ ळ 5 Þ ष प ड, 4 9 6 ज ल में 牙 1 2 क ड़ी வு 9 7 9 हो ता है । 43 3 1 गीता ने For Private & Personal Use Only 5 पा 1 6 नी में www.jainelibrary.org

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