Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 40
________________ 31 यौगिक शारीरिक क्रियाएं दसवीं क्रिया- पैरों के लिए पूरक करते हुए पैर के पंजों पर खड़े रहे । फिर रेचन करते हुए एड़ी को जमीन पर रख दें । पूरक करते हुए एड़ी पर खड़े रहे। . पंजे जमीन से ऊपर रहेंगे रेचन करते हुए पंजों को भूमि पर रखें । प्रत्येक क्रिया को पांच बार दोहराएं। लाभ- ऐडी का दर्द एवं पंजे के दोष का परिहार होता है । Minarumentill ग्यारहवीं क्रिया-घुटने एवं पंजों के लिए . (अ) दाएं घुटने को मोड़कर ऐड़ी से नितम्ब को पांच बार ताड़ित करें । ऐसा ही बाएं घुटने को मोड़कर करें। ____ (ब) फिर घुटनों की ढक्कनियों को पांच बार ऊपर नीचे करें । ___ (स) कटि पर हाथ रखें । दोनों पैरों के बीच एक फुट का अन्तर रखें । धीरेधीरे घुटनों को आगे सामने की ओर मोड़ें । रेचन करें पूरक कर ऊपर आएं । कमर, धड़, सिर सीधा रहे । इस क्रिया को पांच बार करें। (द) घुटनों को दायीं ओर मोड़ें रेचन करें । कमर को सीधा रखते हुए झुकें । फिर पूरक करें । घुटनों को बायीं ओर मोड़ें । रेचन करें । कमर को सीधा रखें । इसे तीन बार करें । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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