Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ 30 नवी क्रिया- कमर के लिए (अ) श्वास को भरें । हाथों को ऊपर ले जाएं । पेट को आगे की ओर तथा कंधों को पीछे ले जाएं । रेचन करते हुए आगे झुकें । ललाट से घुटनों का स्पर्श करने की कोशिश करें। हाथ-पैर के पंजों को स्पर्श करें या पार्श्व में रहे । श्वास भरते हुए हाथ । ऊपर उठे एवं पीछे झुकें । रेचन कर । फिर आगे झुकें । तीन बार इस क्रिया S को दोहराएं। (ब) रेचन करते हुए कटि भाग को बायीं ओर झुकाएं । बायां हाथ बाएं घुटने की ओर नीचे ले जाएं, दाएं हाथ को सिर पर होते हुए बायीं ओर लाएं। इस क्रिया को दायीं ओर झुक कर करें । इसकी तीन आवृत्ति करें। लाभ- कमर के दोष दूर होते हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94