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(स) गर्दन को दायें-बायें दोनों ओर से गोल घुमाएं।
विधि-पूरक हुए ठुड्डी को कंठ-कूप में लगाएं, आंखें बन्द रहे, दाहिने कंधे की ओर ठुड्डी का स्पर्श करते हुए पीठ की ओर गर्दन ले जाएं, बाएं कान को बाएं कंधे से छुते हुए ठुड्डी को कंठ-कूप में लगाएं, आंखें बन्ध कर लें। इस क्रिया को बायीं ओर भी दोहराएं। तीन-तीन आवृत्ति करें।
(द) श्वास को भर कर सिर और गर्दन को दाहिनी और झुकाएं, कान कन्धे को स्पर्श करेंगे। सिर को सीधा कर रेचन करें । पूरक कर बायीं ओर सिर को झुकाएं, कान कंधे को स्पर्श करेंगे । सिर और गर्दन को सीधा कर रेचन करें। तीन आवृत्ति करें।
लाभ-गर्दन का दर्द दूर होता है । आंखें और मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है। छठी क्रिया-स्कन्ध के लिए (अ) पूरक करते हुए कंधों को उपर उठाएं । रेचन करते हुए कंधों को नीचे ले जाएं । मुट्ठी बन्द रखें । हाथ सीधे रहें । क्रिया को नौ बार दोहराएं । (ब) हाथों को मोड़कर अंगुलियों को कन्धे पर रखें । पूरक करे । तीन बार हाथों को ..... आगे-पीछे की ओर गोल घुमाएं । फिर रेचन करते हुए तीन बार हाथों को पीछे से आगे की ओर घुमाएं । लाभ-कंधों की शक्ति बढ़ती है । जोड़ों का दर्द दूर होता है ।
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