Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 36
________________ पांचवी क्रिया-गर्दन के लिए (अ) श्वास को भरें। गर्दन को पीछे पीठ की ओर ले जाएं। आकाश की ओर देखें। श्वास को छोड़ते हुए ठुड्डी को सीने से लगाएं। इस क्रिया को पांच बार दोहराएं। Jain Education International (ब) रेचन करते हुए गर्द को दाएं कंधे की तरफ मोड़ें। दृष्टि पीछे की ओर ले जाएं। पूरक करें। फिर रेचन करते हुए बाएं कंधे की ओर मोड़ें। इस क्रिया को पांच बार दोहराएं। Vi • .......... For Private & Personal Use Only www Ve 27 --- www.jainelibrary.org

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