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नवी क्रिया- कमर के लिए
(अ) श्वास को भरें । हाथों को ऊपर ले जाएं । पेट को आगे की
ओर तथा कंधों को पीछे ले जाएं । रेचन करते हुए आगे झुकें । ललाट से घुटनों का स्पर्श करने की कोशिश करें। हाथ-पैर के पंजों को स्पर्श करें या पार्श्व में रहे । श्वास भरते हुए हाथ । ऊपर उठे एवं पीछे झुकें । रेचन कर । फिर आगे झुकें । तीन बार इस क्रिया S को दोहराएं।
(ब) रेचन करते हुए कटि भाग को बायीं
ओर झुकाएं । बायां हाथ बाएं घुटने की
ओर नीचे ले जाएं, दाएं हाथ को सिर पर होते हुए बायीं ओर लाएं। इस क्रिया को दायीं
ओर झुक कर करें । इसकी तीन आवृत्ति करें।
लाभ- कमर के दोष दूर होते हैं ।
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