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जीवन विज्ञान-जैन विद्या
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(इ) दोनों पंजों को मिलाकर खड़े रहें ।रेचन कर घुटनों को मोड़ें और दाएं-बाएं गोलाकार पांच बार घुमाएं ।
(ई) दाहिने पँर को पिंडली की ओर नीचे की ओर ... लाकर के पंजे को भूमि से थोड़ा ऊपर कर फिर नीचे मोड़ें । ऐसा ही दूसरे पैर से करें ।
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(उ) पैर की एक-एक अंगुली को सक्रिय करें । फिर दाएं से वाएं ओर बाएं से दाएं पैर को गोलाकार धुमाएं । ऐसा ही दूसरे पैर से करें । इसे तीन बार करें ।
लाभ- घुटने, पिण्डली, पंजे तथा अंगुलियों का दर्द दूर होता है । शक्ति का संचार होता है ।
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