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जीवन विज्ञान-जैन विद्या
लाभ
इससे मेरुदण्ड स्वस्थ, हाथ-पैर के स्नायु शक्ति-सम्पन्न बनते हैं। सीने और पेट के अवयवों की अच्छी मालिस हो जाती है। धरण (नाभि डिगने की गड़बड़ ठीक हो जाती है । मोटापा कम होता है । चर्बी घटती है, कब्ज दूर होती है । वात-रोग नष्ट हो जाता है । भूख बढ़ती है, रक्त के प्रवाह में संतुलन रहता
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4. सर्वांगासन सर्वांगासन अपने नाम के अनुरूप सम्पूर्ण अंग की क्रियाओं को ठीक करने वाला आसन है । सर्वांगासन शीर्षासन के समस्त लाभों को सहजता से समेट लेता है । मनुष्य पैर के बल चलता है, खड़ा होता है । इस प्रकार चलने और खड़े रहने से शरीर के अवयवों को नीचे की ओर झूलते रहना होता है । इस प्रयोग से शरीर के अवयव विपरीत स्थिति में हो जाते हैं । हृदय, फेफड़े, गुर्दे एवं अन्य अवयवों को कम श्रम करना पड़ता है । रक्त परिश्रमण में भी सहज गति आ जाती है, जिससे प्रत्येक अंग को प्रचुर मात्रा में रक्त
और शक्ति प्राप्त होती है । विधि
भूमि पर आसन बिछाकर पीठ के बल लेटें। हाथ शरीर के बराबर फैलाएं। हथेलियां भूमि पर रहे। श्वास भरते हुए पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, 90 डिग्री का कोण बनाएं। श्वास छोड़ें, कुछ सैकिण्ड ठहरें। श्वास भरते हुए कमर को उठाएं। हथेलियों से सहारा देते हुए कंधे पर शरीर को सीधा सम रेखा में उठाएं। शरीर, कोहनियों, कंधों और गर्दन पर टिक जाएगा। धड़ व पैरों को
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