Book Title: Jivan Vigyana aur Jain Vidya
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 24
________________ . 15 लाभ इससे कमर, गर्दन, एवं पैरों की मालिश होती है । मेरुदण्ड लचीला और शक्तिशाली बनता है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है । शरीर के वजन को कम करने के लिए यह आसन उपयोगी है । इससे मधुमेह भी ठीक होता है । 6. मत्स्यासन सर्वांगासन, हलासन के तुरन्त पश्चात् मत्स्यासन किया जाता है । यह आसन मत्स्य मछली की आकृती से मिलती हैं । अतः इसे मत्स्यासन कहा गया हैं । इस आसन में पानी पर मत्स्य के सदृश स्थिर रहा जा सकता हैं । नाक पानी से ऊपर रहता है। अतः डुबने की स्थिति नहीं बनती । तैराक योगी इस आसन में घंटो पानी में पडें रहते है । विधिः पद्मासन की स्थिति में बैठे । लेटने की मुद्रा में आने के लिए हाथों की कुहनी को धीरे-धीरे पीछे ले जाएं । पीठ पीछे झुकेगी । कुहनियों के सहारे शरीर को टिकाते हुए लेटने की मुद्रा में आ जाऐ । हाथो की हथेलीयां कन्धो के पास स्थापित कर पीठ और गंदन को ऊपर उठाएं । मस्तक का मध्य भाग भुमि से सटा रहेगा । बाएं हाथ से हाथ वहां से उठाएं दाएं पैर का अंगुठा पकडें और दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगुठा पकडें । कमर का हिस्सा भुमि से ऊपर रहेगा । आंख खुली रहेगी। स्वास्थ्य पर प्रभाव ___ मत्स्यासन मेरुण्ड को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण आसन है । सरल-सा दिखाई देने वाला यह आसन अपने में अनेकानेक विशेषताओ को समेटे हुए है । जिसके मेरुदण्ड के मन के ठीक काम नहीं कर रहे हों उनको इस आसन से अत्यधिक लाभ मिलता हैं । मेरुदण्ड स्वस्थ रहने से शरीर स्वस्थ रहता है। हलासन में जहां मेरुदण्ड आगे की। - Rs Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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