Book Title: Jal Yatradi Vidhi
Author(s): Ratnashekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 7
________________ हत्नो पाठ कहीने, नीचे प्रमाणे थोश कहेवी. श्रीचतुर्विधसंघस्य। शासनोन्नतिकारिणी ॥ शिवशांतिकरी भूयात्। श्रीमती शांतिदेवता ॥३॥ पड़ी शासनदेवता आराधनार्थ करेमि काउस्सगं, तया नमोऽर्हत्नो पाठ कहीने सा पाति शासनं जैनं। सद्यः प्रत्यूहनाशिनी। सानिप्रेतसमृद्ध्यर्थ। भूयात् शासनदेवता॥४॥ एवी रीतनी थोर कहेवी. पली देत्रदेवयाए करेमि काउस्सग्गं, तथा नमो. ऽर्हत्नो पाठ कहीने, नीचे प्रमाणे थोश कहेवी. यस्याः क्षेत्रं समाश्रित्य । साधुनिःसाध्यते क्रिया॥ सा क्षेत्रदेवता नित्यं । नूयान्नः सुखदायिनी ॥५॥ पली अनुतादेवीए करेमि काउस्सग्गं, तथा नमोऽर्हत्नो पाठ कहीने, नीचे प्रमाणे थोइ कहेवी. चतुर्जुजा तमिहर्णा। कमलाक्षी वरानना ॥ जद्रं करोतु संघस्या-लुप्ता तुरगवाहना ॥६॥ पनी समस्तवेयावच्चगराणं करेमि काउस्सग्गं,तथा नमोऽर्हत्नो पाठ कहीने नीचे प्रमाणे थोर कहेवी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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